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घर उनका कहना है

अभ्यागत संदेश

  • मेरा हमेशा से मानना रहा है कि उत्तर प्रदेश प्रतिभाओं का ऊर्जा श्रोत है। आखिर यह देश का इकलौता राज्य है जिसने हमें आठ पूर्व प्रधानमंत्री दिए हैं। हालांकि, भविष्य के नेताओं का एक बड़ा समूह राज्य के हर कोने और तबके से उभरे यह सुनिश्चित करने में मदद करने के लिए हमें सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। विद्याज्ञान राज्य के आर्थिक रूप से वंचित वर्गों के सैकड़ों उच्च क्षमता वाले छात्रों को चुनने और उनका पोषण करने और एक ऐसा मॉडल बनाने में अद्भुत काम कर रहा है जो राज्य में प्रगति की गति को महत्वपूर्ण रूप से बदल सकता है।

    उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक द्वारा सीतापुर स्थित विद्याज्ञान लीडरशिप अकादमी का दौरा
  • विद्याज्ञान में आकर यहाँ के छात्रों के बेहद प्रतिभाशाली समूह के साथ बातचीत करके मुझे प्रसन्नता हो रही है। उत्तर प्रदेश हमारे देश का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है और विद्याज्ञान जैसे शिक्षा मॉडल दिखाते हैं कि हमारे राज्य के सुदूर कोने कोने में भी प्रतिभा की उज्ज्वल चिंगारियाँ उपस्थित हैं जिनकी लिंग और आर्थिक पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना खोज करने और पोषण करने की आवश्यकता है। मैं रोशनी नादर मल्होत्रा के नेतृत्व में विद्याज्ञान द्वारा किए जा रहे प्रयासों से सचमुच अभिभूत हूँ जो इन वंचित बच्चों को आने वाले कल के लिए बदलाव के कारकों के रूप परिवर्तित करने को प्रयासरत हैं।

    पंकज सिंह, विधायक, नोएडा
  • सोफिया छुआ रूबेनफील्ड हावर्ड विश्वविद्यालय में फ़िलॉसफी की छात्रा हैं। उन्होने अपने 2013 की ग्रीष्मकालीन इनटर्नशिप के तहत उत्तर प्रदेश स्थित विद्याज्ञान विद्यालयों का भ्रमण किया। उन्होने अपनी इस यात्रा के संस्मरण में अपने अनुभव साझा किए हैं –

    2013 छात्र अनुदान रिपोर्ट
  • “ऐसे समय में जब … कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी पर जोर दिया जा रहा है, एक प्रतिष्ठित संगठन को भारत में एक प्रशंसनीय सामाजिक उद्देश्य की शुरुआत करते हुए देखना अच्छा लगता है। इस अवधारणा में परिलक्षित प्रतिबद्धता को देख कर ऐसा प्रतीत होता है कि ऐसे प्रयास काम करेंगे और शायद अन्य संस्थाओं को भी प्रेरित करेंगे। प्रौद्योगिकीय विकास में आ रही तेजी को देखकर ऐसा विश्वास किया जा सकता है कि एक ऐसे देश में जहां लगभग 50 प्रतिशत आबादी 25 वर्ष से कम आयु वर्ग की है इस प्रकार की पहल निश्चित रूप से सब के लिए समान अवसर उत्पन्न करेगी।

    एस. रमेश कुमार, भारतीय प्रबंधन संस्थान बैंगलोर में मार्केटिंग के प्रोफेसर
  • “मैं समझता हूँ यह एक बेहद अच्छी अवधारणा है। वास्तव में, यह विचार मेरे मन में भी आया था लेकिन उसे मैं मूर्तरूप नहीं दे सका। इस प्रकार के विद्यालय यदि ऐसे उत्कृष्ट छात्रों को तैयार करने में सक्षम हैं जो व्हार्टन, आईआईटी, एलएसई [लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स], आईएएस [भारतीय प्रशासनिक सेवा] आदि में सफल हो सकें तो यह शानदार उपलब्धि होगी। दूसरे शब्दों में कहें तो विज्ञान और भाषा से लेकर निर्वासन और आत्मविश्वास निर्माण तक का समस्त प्रशिक्षण विश्व स्तरीय होना चाहिए।

    दीपांकर गुप्ता, स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), नई दिल्ली के पूर्व प्रोफेसर
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