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घर छात्रों की कहानियां

कहानियाँ

विद्याज्ञान के छात्र अपनी यात्रा के बारे में अपनी कहानियों को बताते हैं कि उनके जीवन में कितनी तेजी से बदलाव आया है।

अनुज धारीवाल

विद्याज्ञान के अनुज धारीवाल को भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन मिला है

अनुज धारीवाल ने जब भारतीय सेना में भर्ती होने का सपना देखा था,तब उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के उनके गांव का कोई भी व्यक्ति अभी तक सेना का अधिकारी नहीं बना था। एक सीमांत किसान के बेटे अनुज का लक्ष्य दूर का सपना सा लग रहा था। हालाँकि, नियति की उसके लिए बड़ी योजनाएँ थीं क्योंकि उसने 2010 में विद्याज्ञान में प्रवेश प्राप्त किया था।

अपने बचपन के दौरान, अनुज अपने एक चाचा से प्रेरित था , जो भारतीय सेना में सेवा करते थे, लेकिन इस युवक का लक्ष्य सशस्त्र बलों में उच्च स्तर पर पहुंचना था।

विद्याज्ञान के प्रत्येक छात्र की तरह, उन्हें विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से समाज की बेहतरी में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित किया गया और इससे सशस्त्र बलों में सेवा करने के उनके सपने को साकार करने में मदद मिली। स्कूल में अपने सात वर्षों के दौरान, अपने सपनों को आगे बढ़ाने और सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए उनके शिक्षकों द्वारा उनका सर्वांगीण विकास और सहयोग किया गया। उन्होंने कक्षा 12 की परीक्षा में 93.6 प्रतिशत अंक हासिल किए और जे.ई.ई. की मुख्य परीक्षा को उत्तीर्ण किया; हालांकि, उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) की कठोर चयन प्रक्रिया में शामिल होना चुना और उन्होंने लिखित और साथ ही सेवा चयन बोर्ड (SSB) साक्षात्कार में उत्तीर्ण हो कर इस परीक्षा में सफलता प्राप्त की।

उनके शिक्षकों ने उनकी पूरी यात्रा में उनका मार्गदर्शन और प्रशिक्षण दिया। वह लिखित परीक्षा के लिए तैयार था और विद्याज्ञान द्वारा एसएसबी साक्षात्कार के लिए उसकी कोचिंग के लिए संसाधनों की व्यवस्था की गई थी। वह अपने शिक्षकों को उनमें ईमानदारी और कड़ी मेहनत के मूल्यों को स्थापित करने का श्रेय देते हैं।

अनुराग तिवारी

दृढ़ निश्चय और कठिन श्रम ने वंचित वर्ग के एक बालक के अमरीका के आईवी लीग विश्वविद्यालय तक पहुँचने का मार्ग प्रशस्त किया।

2020 में जब सभी लोग वैश्विक महामारी से संघर्ष कर रहे थे उसी बीच पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक गाँव, सरसन, में उत्सव का वातावरण बन गया था। इस गाँव का नाम उस समय सुर्खियों में आया जब यहाँ के एक परिश्रमी लड़के, अनुराग तिवारी, ने अमेरिका के कोर्नेल विश्वविद्यालय में प्रवेश पाने में सफलता अर्जित कर ली वो भी शत प्रतिशत छात्रवृत्ति के साथ।

एक सीमांत किसान के पुत्र, अनुराग, भारत के उन गिने चुने छात्रों में से हैं जो आईवी लीग विश्वविद्यालय, जिसे कॉलेज शिक्षा का स्वर्णिम मानक समझा जाता है, तक पहुँचने में सफल होते हैं ।

अनुराग की सौम्य पृष्ठभूमि उन्हें उनके ऊँचे लक्ष्य के संधान से डिगा नहीं सकी। हालांकि जहां उन्होंने कक्षा 5 तक की पढ़ाई की थी उस सरकारी प्राइमरी विद्यालय में अवसर सीमित थे और सफलता की संभावनाएं बेहद कम थीं। अनुराग के जीवन में उस समय एक आमूल चूल परिवर्तन आया जब उन्होने जुलाई 2013 में विद्याज्ञान लीडरशिप अकादमी में प्रवेश प्राप्त करने में सफलता प्राप्त की। यहाँ से उनकी सफलता की यात्रा प्रारम्भ हुई। उनको विश्वस्तरीय शिक्षा, सलाह, प्रेरणा तथा सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास के लिए अवसर, ये सब पूर्णतः निःशुल्क प्राप्त हुए।

अनुराग को उनके शिक्षकों तथा सलाहकारों ने उनके लक्ष्य के संधान के लिए तैयार किया। सात वर्षों की इस छोटी सी अवधि में वो एक आत्मविश्वास से लवरेज वक्ता तथा लक्ष्यभेदी व्यक्ति बन गए, और अब बीसों ऐसे अन्य युवकों के लिए आदर्श बन गए जो शिक्षा के माध्यम से अपने जीवन स्तर में गुणात्मक सुधार लाने को यत्नशील हैं।

मेधावी छात्र अनुराग ने CBSE की बारहवीं की परीक्षा में 98.2 प्रतिशत अंक अर्जित किए। इस समय वे अमेरिका के कोर्नेल विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र तथा गणित विषय से स्नातक कार्यक्रम में अध्ययनरत हैं।

शिकोह जैदी

मासिक धर्म (माहवारी) से संबन्धित निषेध/भ्रांतियों तथा मिथकों के विरुद्ध शिकोह के अभियान ने उनके लिए अपार सफलता का मार्ग प्रशस्त किया।

शिकोह जैदी ने जब उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के अपने छोटे से गाँव में क्रांति की शुरुआत की तब वह मात्र 16 वर्ष की थी। स्वभाव से निर्भीक शिकोह ने जब अपने गाँव की महिलाओं और युवतियों के बीच मासिक धर्म स्वच्छता से संबन्धित जागरूकता अभियान प्रारम्भ करने की योजना बनाई तब वह मात्र 16 वर्ष की थी और उसने अनेक कठिनाइयों का सामना किया। स्वयं शिकोह को भी मासिक धर्म स्वच्छता से संबन्धित आवश्यकता सुनिश्चित करने की जानकारी विद्याज्ञान में आकार ही मिली और उसने इससे जुड़े निषेध तथा मिथकों के विषय में अपनी सहपाठियों से चर्चा की। उसके शिक्षकों तथा सलाहकारों ने उसका उत्साह बढ़ाया तथा युगों पुराने मानदंडो पर प्रश्न करने के उसके जोश की सराहना की जिससे उसका आत्मविश्वास बढ़ा और अपने एक ग्रीष्मावकाश परियोजना के तहत इस विषय में अपने गाँव में बड़ा परिवर्तन लाने में वह सफल हो सकी।

आर्थिक रूप से अत्यंत कमजोर वर्ग से आने वाली शिकोह के जीवन में उस समय एक बड़ा परिवर्तन आया जब उसे विद्याज्ञान में सन 2013 में प्रवेश प्राप्त हुआ। युवतियों के जीवन चर्या में परिवारतान लाने के उसके दृढ़ निश्चय का पोषण उसके शिक्षकों के द्वारा किया गया। उसे पुस्तकें पढ़ने के लिए उत्साहित किया गया जिससे उसे ऐसी सामान्य ग्रामीण महिलाओं के जीवन के प्रति अंतर्दृष्टि विकसित करने में सहायता मिली जो लिंग बेहद के कारण अपार कठिनाइयों का सामना करती हैं। इसने उसके अंदर जोश को बढ़ाया और आगे बढ़ कर महान नेताओं की तरह वास्तविकता के धरातल पर परिवर्तन लाने के प्रति उसकी महत्वाकांक्षा को बल मिला।

अपने विद्यालय के अवकाश के समय शिकोह ने अपने गाँव में जागरूकता अभियान चलाये और मासिक धर्म स्वच्छता से संबन्धित रीतियों और उनके महत्व पर घर घर जाकर चर्चा की। उसे गाँव की महिलाओं और बुजुर्गों के विरोध का सामना करना पड़ा हालांकि इससे उसके उत्साह और प्रयासों में कोई कमी नहीं आयी। शिकोह ने कुछ एनिमेटेड फिल्म्स भी बनायीं, चर्चाओं का आयोजन किया, और सैनिटरी पैड का प्रयोग करने की विधि का प्रदर्शन भी किया। ऐसा करने में उन्होंने गाँव की संकोची महिलाओं के हास्य तथा आलोचना की भी परवाह नहीं की।

शिकोह के प्रयासों के फलस्वरूप उसके गाँव की और युवतियों तथा उनकी माताओं ने भी मासिक धर्म स्वच्छता से संबन्धित रीतियों को स्वीकार करना प्रारम्भ कर दिया। शिकोह ने क़तर की प्रतिष्ठित जॉर्ज टाउन विश्वविद्यालय में शत प्रतिशत छात्रवृत्ति पर प्रवेश पाने में सफलता अर्जित की और वर्तमान में वह इसी विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय राजनीति विषय में स्नातक पाठ्यक्रम में अध्ययनरत है।

शिकोह का उद्देश्य है कि वह एक क्रांतिकारी की तरह वंचित वर्गों के जीवन में परिवर्तन ला सकें।


मनु चौहान

उत्तर प्रदेश के एक नन्हें से गाँव से अमेरिका के कैलिफोर्निया की यात्रा करने वाले मनु चौहान विद्याज्ञान के उदीयमान सितारे हैं।

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के अकराबाद नामक एक छोटे से गाँव से कलिफोर्निया के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय तक की यात्रा की मनु चौहान के सफलता की कहानी एक सफल स्वप्नद्रष्टा की कहानी है। एक बीमा अभिकर्ता के पुत्र मनु ने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में शत प्रतिशत छात्रवृत्ति के साथ प्रवेश प्राप्त किया तथा पिछले सितंबर महीने में उन्होंने अमेरिका के लिए प्रस्थान किया जहाँ वे स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध तथा अर्थशास्त्र विषयों से स्नातक पाठ्यक्रम में अध्ययन करेंगे।

मनु की इस सफलता के पीछे उनके सात वर्षों के कठिन परिश्रम का योगदान है जिसमें विद्याज्ञान के उनके शिक्षकों तथा सलाहकारों ने अथक सहयोग किए। उनके शिक्षकों ने उनके अंदर बड़ा स्वप्न देखने का आत्मविश्वास तथा लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आवश्यक अनुशाशन उत्पन्न करने में सहयोग किया।

मनु ने पाँचवीं कक्षा तक सरकारी प्राइमरी विद्यालय में अध्ययन किया। उनके पिता अपनी छोटी सी कमाई से परिवार की आधारभूत आवश्यकताओं को पूरा करने में संघर्ष करते रहे किन्तु शिक्षा को उन्होने सदा महत्व दिया और सदा अपने पुत्र की सफलता के स्वप्न देखे। एक स्थानीय समाचार पत्र में विद्याज्ञान का विज्ञापन उनके लिए आशा की किरण बनकर आया। मनु ने भी अपने पिता को निराश नहीं किया और एक कठिन प्रतियोगिता के बाद विद्याज्ञान में प्रवेश पाने में सफलता हासिल की जिसमें प्रतिवर्ष लगभग 250,000 प्रतिभागियों में से मात्र 250 चयनित होते हैं।

विद्याज्ञान में उनकी प्रतिभा तथा सफल होने की लालसा को पोषण मिला। उनके शिक्षकों ने उनका उत्साह बढ़ाया तथा बड़ी उपलब्धियां हासिल करने के लिए कदम कदम पर उनका उत्साहवर्धन किया। परिणामस्वरूप उन्होंने दसवीं की परीक्षा में 95.4 प्रतिशत अंक अर्जित किए। अपने असाधारण प्रदर्शन के लिए दो बार ASSET परीक्षा में पुरष्कृत हुये। अंतर्वर्गीय वाद विवाद प्रतियोगिताओं में सर्वश्रेष्ठ वक्ता चुने गए तथा सन 2018 में राज्य स्तरीय ओपेन टेबल टैनिस चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक प्राप्त किया।

उनकी उपलब्धियों तथा स्वैच्छिक सामुदायिक सेवाओं की सूची लंबी है किन्तु उनकी भविष्य की योजनाएँ अधिक आशाजनक और हृदयस्पर्शी हैं। उनका दूरगामी स्वप्न है भारत के वंचित समुदाय के बच्चों की शिक्षा में योगदान देना ताकि वह शिक्षा का उपहार अन्य योग्य छात्रों तक पहुंचा कर उनके जीवन स्तर मे सुधार लाने में सहयोग कर सकें।

उनकी दृष्टि संयुक्त राष्ट्र पर भी टिकी है जहां वे अपनी शिक्षा पूरी होने के बाद कार्य करना चाहते हैं।
विद्याज्ञान के छात्र अपनी यात्रा के बारे में अपनी कहानियों को बताते हैं कि उनके जीवन में कितनी तेजी से बदलाव आया है।